डर

( Darr ) 

 

आखिर किस भुलावे में है आप
सच बताएं क्या चाहते हैं आप

चाहते हैं आजादी पर आजाद रहने से डरते हैं
चाहते हैं स्वर्ग पर स्वर्गीय होने से डरते हैं
सच बताएं ,क्या चाहते हैं आप

चाहते हैं अपना बनाना पर अपना बनाने से डरते हैं
समझाना तो चाहते हैं, पर समझने से डरते हैं
सच बताएं क्या चाहते हैं आप

लेने की चाहत कभी कम होती नहीं मन से
यकीन करें सब आपका, पर किसी पर यकीन से डरते हैं
सच बताएं क्या चाहते हैं आप

वक्ता हैं बड़े आप हर धर्म के, हर राजनीति के
चाहते हैं दबदबा रखना, किसी फैसले से डरते हैं आप
सच बताएं क्या चाहते हैं आप

आपकी हर चाहत से, मंजूर हो यह जमाना
पर किसी और की जरूरत पर सोचने से डरते हैं आप
सच बताएं क्या चाहते हैं आप

शौकीन है बाजी के ,जीतने की ही कसम खाई है
गलतफहमी के बहकावे में है, हर हकीकत से डरते हैं आप
सच बताएं क्या चाहते हैं आप

आखिर किस भुलावे में हैं आप
सच बताएं क्या चाहते हैं आप

 

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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