इंतज़ार किया | Emotional Intezaar Shayari
इंतज़ार किया
( Intezaar kia )
पूरा तेरा हरिक क़रार किया
हमने पतझड़ को भी बहार किया
उसके आगे किसी की क्या चलती
वक़्त ने जिसको ताजदार किया
ज़ख़्मी होकर भी मैं रहूँ ज़िन्दा
किस हुनर से मेरा शिकार किया
दुखती रग पर ही तुम ने हाथ रखा
हाय क्या मेरे ग़मगुसार किया
बात उसकी सदा ही रखने को
सारी बातों को दरकिनार किया
प्यासा लौटा था मैकदे से मगर
ख़ुद को मशहूर मयगुसार किया
हो गये हम किसी के फिर साग़र
तेरा कितना ही इंतज़ार किया
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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