Hindi ke Utsang Mein

हिंदी मेरी मां है, पीपल की छांव है

हिंदी मेरी मां है

एक रात ख्वाब में आई, हिंदी मां
सुनाने लगी अपनी दास्तां
मैं तुम्हारी मां हूं, पीपल की छांव हूं
सुबह उठती हूं, प्यार से जगाती हूं,
लोरी प्रेम की हर दिन सुनाती हूं
व्यथित मन अब टूटने लगा
मुझको सब अब लूटने लगा
तुम भी चुप, सब कुछ सह जाते हो,
जानकर भी अनजान रह जाते हो
मेरे चंद्र को हटाकर बिंदी लगा दी
बोलने पर भी पाबंदी लगा दी
अंक छीना, छंद छीना,
छीन लिया विराम,
मैं तकती रह गईं
हर सुबह, हर शाम,
वो एक बार फिर घुसी, घुसकर की बदनाम
मैं तो तुम्हारी मां ठहरी, ठहरी रहीं उम्र तमाम
तुम तो दिवस मनाते हो, मैं हर रात रोती हूं
फूलों के विछावन पर, काटों सी सोती हूं
कुछ और नहीं कहना, बस एक ही इच्छा है
समझ सको तो समझ लो, यह अग्नि परीक्षा है ।

डा हनीफ
भारत

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