अंतर्मन की बातें

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अंतर्मन की बातें

( Antarman ki baatein )

 

अंतर्मन की बातें निकल जब, बाहर आती हैं।
हर पल बदलती जिंदगी, कुछ नया सिखाती है।।

 

खुशी से हर्षित है ये मन, निशा गम की छा जाती है ।
कभी बिछुड़न बना है दर्द, मिलन से खुशियां आती है।।

 

कभी ऐसे लगे जीवन ,खुशनसीब बंदा है ।
कभी उथल-पुथल भारी, सोचूं-क्या तूं जिंदा है ।।

 

नजर जब राह ना आए, तो बदहाल होता हूं।
कभी मजबूरी हूं इतना , कभी मजबूत पाता हूं ।।

 

खुशी उपहार से मिलती , कभी उपहास मिलता है।
कभी हूं दर्द से पागल,कभी हमदर्द मिलता है ।।

 

कभी सम्मान पा खुश हूं, कभी अपमान मिलता है।
कभी प्यार अपनों से, कभी दुत्कार मिलता है ‌‌।।

 

झूठा सपना आये तो,ये जीवन भार लगता है।
इच्छित फल मिल जाए तो, जीवन सार लगता है।।

 

पल पल बदलती जिंदगी, जीना सिखाती है।
अंतर्मन की बातें निकल अब, बाहर आती हैं।।

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कवि : सुरेश कुमार जांगिड़

नवलगढ़, जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

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