क्या बात हो गई
क्या बात हो गई
तुम रूठ कर चले गए क्या बात हो गई।
हम बुलाते रह गए क्या बात हो गई।
तुम रात ख्वाब में पैगाम ले कर आए।
विन सुनाए बैठे रहे क्या बात हो गई।
मुफलिसी का हल ढूंढ़ने में जिंदगी गई।
हल निकला ना कोई क्या बात हो गई।
मालूम होता तो बताता चौखट को।
दरबाजे को क्या बाताऊं क्या बात हो गई।
निकल जाती हो करीब से विन बात किए।
सब पूछते हैं कि क्या बात हो गई ।
तुझसे ही इक आश बंधी थी जिंदगी को।
वह भी बे वक्त टूटी क्या बात हो गई ।
सुदेश दीक्षित
बैजनाथ कांगड़ा
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