मिलने जब यार से चला होगा
मिलने जब यार से चला होगा
मिलने जब यार से चला होगा
प्यार का तब नशा चढ़ा होगा
खिल गए फूल दिल में खुशियों के
बनके महताब जब मिला होगा
इतनी चाहत भरे हो तुम दिल में
गुल भी तो प्यार का खिला होगा
जब भी आया तुझे सनम मिलने
हाल दिल का बयां हुआ होगा
कुछ सुना हाल दीद का उनके
खूब शृंगार तो किया होगा
चुप नहीं आप भी रहे होगें
मशविरा दिल ने जब दिया होगा
इश्क़ की हर डगर प्रखर टेढी
तू भी बच-बच उधर चला होगा
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )