Ghazal Aasan Nahi Hota
Ghazal Aasan Nahi Hota

आसां नहीं होता

( Aasan Nahi Hota )

 

बज़ाहिर लग रहा आसां मगर आसां नहीं होता
बहुत दुश्वार उल्फ़त का सफ़र आसां नहीं होता।

ज़मीं एहसास की बंजर अगर इक बार हो जाये
लगाना फिर मुहब्बत का शजर आसां नहीं होता।

सुनो अहदे वफ़ा करना अलामत इश्क़ की लेकिन
निभाना अहद यारों उम्र भर आसां नहीं होता।

गया तर्क -ए -त’अल्लुक करके ये आसान था उसको
नहीं तो छोड़ता क्यूं वो अगर आसां नहीं होता।

हर इक तखलीक पर दिल से नवाज़े दाद से दुनिया
सुखनवर को मिले ऐसा हुनर आसां नहीं होता।

भुला के शौक सब परदेस में पहुंचा कमाने को
बिना दौलत ज़माने में गुज़र आसां नहीं होता।

न मर्ज़ी हो न दिल राज़ी न ग़र अच्छा लगे कोई
लगाना दिल नयन फिर तो उधर आसां नहीं होता।

 

सीमा पाण्डेय ‘नयन’
देवरिया  ( उत्तर प्रदेश )

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