देखे हैं हमने | Dekhe Hai Humne
देखे हैं हमने
( Dekhe Hai Humne )
देखे हैं हमने घूम के दुनिया के सब गुलाब।
मिलता नहीं कहीं भी सनम आपका जवाब।
क्योंकर न उसको नाज़ हो अपने नसीब पर।
जिसको तुम्हारे प्यार की दौलत है दस्तयाब।
बैठी हुई है ऐसे वो सखियों के दरमियां।
तारों में जैसे बैठा हो सजधज के माहताब।
किसकी मिसाल किससे दें ह़ैरत ज़दा हैं हम।
अबरू हैं बेमिसाल तो आंखें हैं लाजवाब।
जब से पढ़ा है आपका चेहरा जनाबे मन।
रद्दी में हमने डाल दिया अपना कुल निस़ाब।
क्या तख़्तो ताज जाने चमन और क्या यह ज़र।
दुनिया के मालो-ज़र है तिरे सामने तुराब।
ज़ाहिर फ़राज़ कैसे करूं तुम पे दिल की बात।
तुम दिल की आर्ज़ू हो निगाहों का इन्तेख़ाब।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़
पीपलसानवी
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