Dukh Shayari Hindi
Dukh Shayari Hindi

दुख ही दुख

( Dukh hi dukh )

 

बोझ यहीं रहता है मन में
दुख ही दुख झेले बचपन में

याद बहुत आया आज मुझे
खेला हूँ जिस घर आंगन में

फ़ूल भरे दामन में कैसे
वीरां है गुलशन गुलशन में

और नहीं कोई भाता है
तू रहती दिल की धड़कन में

याद किसी की आयी इतनी
रोया खूब अकेले पन में

दामन खुशियों से न भरा है
दुख खूब भरे है दामन में

भेज ख़ुदा कोई दोस्त हंसी
तन्हा है आज़म जीवन में

 

शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )

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