क्यों रहे कोई भी ईज़ा मोजूद
क्यों रहे कोई भी ईज़ा मोजूद
क्यों रहे कोई भी ईज़ा मोजूद।
जब मसीह़ा है हमारा मोजूद।
वो ही रहता है हमेशा दिल में।
अ़क्स आंखों में है उसका मोजूद।
दिन भी दिन सा न लगेगा यारो।
दिल में जब तक है अंधेरा मोजूद।
इश्क़ ज़िन्दा है जहां में जब तक।
हुस्न तब तक है जहां का मोजूद।
जिससे रोशन है ये सारी दुनिया।
आसमां पर है वो तारा मोजूद।
कुल जहां करता है उसकी इज़्ज़त।
जिसकी फ़ितरत में है लज्जा मोजूद।
उसने बचपन में दिया था जो फ़राज़।
आज तक है वो खिलौना मोजूद।
पीपलसानवी
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