पढ़ाया गया मुझे
पढ़ाया गया मुझे
पहले तो सच का पाठ पढ़ाया गया मुझे
फिर झूठ का वकील बनाया गया मुझे
हुस्ने मतला–
कल बदनुमा सा दाग़ बताया गया मुझे
जब वक़्त आ पड़ा तो बुलाया गया मुझे
मज़हब के नाम मरना भी कार-ए-सबाब है
सूली पे इतना कह के चढ़ाया गया मुझे
मुद्दत से इक उजाले की जिनको तलाश थी
सूरज बता के उनसे मिलाया गया मुझे
हक़ अपना छीन लूँ न मैं उनसे किसी तरह
यूँ आइना दिखा के डराया गया मुझे
ता उम्र उनके सामने सजदे में ही रहूँ
अहद-ए-वफ़ा का जाम पिलाया गया मुझे
जब तीरगी गुरूर दिखाने लगी हुज़ूर
तारीक रास्त़ो पे घुमाया गया मुझे
होना था मुझको चाँद का दीदार जिस घड़ी
सूरज की अंजुमन में बिठाया गया मुझे
साग़र न सर उठा के ज़माने में जी सकूँ
ऐ दोस्त इस तरह से मिटाया गया मुझे
कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003
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