चाय के घूंट

चाय के घूंट | Chai ke Ghoont

चाय के घूंट

( Chai ke ghoont )

चाय के गौरव का क्या कहना,
नाम आते ही चेहरे पर शबाब आया।
पिलाने वाले साकी की बात
नही टाली जाती,
करके तौबा इसे पीली जाती है।
नीलगिरी की वादियों में हैं,
चाय के बागान।
सुहाना था इसकी आन‌ शान,
रहें थे इक‌ दिन हम इस बाग के –
आशियाने में।
देखें सुबह की धुंध,
बालकनी पर दो गर्मागर्म चाय
की प्यालियां।
हरित पहाड़ियों पर ज़मीं
थी बर्फ की चुनरिया।
देखते ही बनता था,
ईश्वर के मनोरम दृश्य का-
करिश्मा।
साथ में साथी संग गर्मागर्म,
चाय की चुस्कियां।
गरम सांसों के बीच पिघलते
वक्त के सायों में याद आता था,
परिवार और मित्रों का‌ संग।


श्रीमती उमेश नाग

जयपुर, राजस्थान

यह भी पढ़ें :-

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *