है ही नहीं | Hai hi Nahi
है ही नहीं
( Hai hi nahi )
नेक गुण आदमी में है ही नहीं
साफ़ पानी नदी में है ही नहीं
हाथ को जोडकर खड़ा है पर
सादगी आदमी में है ही नहीं
फूल ताज़े हैं पर है ये हालत
शुद्धता ताज़गी में है ही नहीं
मूर्ति के सामने खड़ा है पर
भावना बंदगी में है ही नहीं
नाम उस का है चांदनी लेकिन
रोशनी चांदनी में है ही नहीं
कुमार अहमदाबादी
यह भी पढ़ें:-