मीरा जैसी कोई अब दीवानी नहीं
मीरा जैसी कोई अब दीवानी नहीं
प्यार की हमको दिखती कहानी नहीं
मीरा जैसी कोई अब दीवानी नहीं
दर्द मुझको भी होता है समझो जरा
मुझमें भी है लहूँ कोई पानी नहीं
वो भी देता है ताना मुझे ख़्वाब में
प्यार की पास में जो निशानी नहीं
धौंस सब पर दिखातें हैं वो ही यहां
जिनकी बस में ही खुद की ही रानी नहीं
आज उनकी भी सुननी पड़ी है मुझे
जिनको हमने सुना था की ज्ञानी नहीं
आज उनके ही चर्चे नगर में मेरे
जानते जिनको हम खानदानी नहीं
प्रेम सच्चा प्रखर उनको होता अगर
माँगती वो कभी ज़िन्दगानी नहीं
महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
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