जब इश्क का फूल खिलता है
जब इश्क का फूल खिलता है
दिल के गुलशन जब इश्क का फूल खिलता है,
बदन का अंग-अंग, रोम-रोम हिलने लगता है !
भटकता जब मन बैचेन होकर इधर उधर तब,
महबूब की बांहो में जन्नत का सुकून मिलता है !
मुहब्बत की दुनिया के जलवे ही होते है निराले,
इसकी आग में दिन रात पल पल दिल जलता है !
रंगीन फ़िज़ाए महकने लगती मस्त बहारो में,
हर इक लम्हा खूबसूरती के लहजे ढलता है !
उम्र भी गुजर जाए तो कम लगती है प्यार में,
वक़्त बीत जाता कब जाने पता नहीं चलता है !!
डी के निवातिया