जिनसे अब तक सुना दुश्मनी हो गई

जिनसे अब तक सुना दुश्मनी हो गई

जिनसे अब तक सुना दुश्मनी हो गई

जिनसे अब तक सुना दुश्मनी हो गई
कह रहे अब वही दोस्ती हो गई

बात देखो बहुत ये बड़ी हो गई
क्यों नबाबी नगर गोमती हो गई

माँ-पिता से मिला आज आशीष तो
दूर जीवन की सब बेबसी हो गई

घर कदम क्या पड़े आज सरकार के
हर तरफ़ अब यहाँ रोशनी हो गई

है गिला आपको तो करो खूब अब
मत कहो ख़त्म ये ज़िन्दगी हो गई

है बहुत खेद पर आज कहना पड़ा
पेट की आग बाबू बड़ी हो गई

मान वेतन बढ़ाया नहीं आपने
कामगारों कि देखो कमी हो गई

ज़िन्दगी ने लिए फैसले कुछ प्रखर
जिससे घर में हमारे खुशी हो गई

Mahendra Singh Prakhar

महेन्द्र सिंह प्रखर 

( बाराबंकी )

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