नया पुराना जोड़-तोड़ कर

नया पुराना जोड़-तोड़ कर

नया पुराना जोड़-तोड़ कर

नया पुराना जोड़-तोड़ कर
जन-जन की बाहें मरोड़ कर

छाती धर कर ले जाएंगे
लाख-हज़ारों को करोड़ कर

लूट तंत्र की नींव धरेंगे
नयी चुनरिया ओढ़-ओढ़ कर

अब भारत के लोकतंत्र की
धाराओं को तोड़-मरोड़ कर

नया रचें इतिहास आइये
शर्म-हया का घड़ा फोड़ कर

देशपाल सिंह राघव ‘वाचाल’
गुरुग्राम महानगर
हरियाणा

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