चले आइए | Chale Aaiye
चले आइए
आपको दिल पुकारे चले आइए
राह पलके बुहारे चले आइए
क्या हँसी हैं नजारे चले आइए
चल पड़े नैन धारे चले आइए
यार छत पर कभी आप आये नज़र
तो करें हम इशारे चले आइए
पास बैठो कभी तो घड़ी दो घड़ी
आपको हम निहारे चले आइए
होश बाकी रहा आपको देखकर
जुल्फ़ फिर हम सँवारे चले आइए
चाह है आपको इक झलक देखना
प्राण से आप प्यारे चले आइए
लूट कर ले गई दिल हसीना वही
कर रही जो इशारे चले आइए
शाम तंहा यहां यार अपनी लगे
बाँह फिर हम पसारे चले आइए
दर्द का आज मारा प्रखर है पड़ा
आपके हैं सहारे चले आइए

महेन्द्र सिंह प्रखर
( बाराबंकी )
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