शिव महिमा -शिवगौरा
शिव महिमा -शिवगौरा
( राधेश्मामी छंद )
शिव गौरा मुख बैठे नंदी, ये सावन लगा सुहाना है।
अविनाशी की महिमा प्यारी,अब हर-हर भोले गाना है।
झंकृत डमरू नाद सुरीला, वो बम बम भोला लहरी है।
रम कर बैठे भोले बाबा,मन बसा प्रेम की नगरी है।
गंगा धारण करने वाले,वो बम भोले भंडारी है।
जो भी इनको मन से ध्याया,तो उनकी विपदा टारी है।
विष का प्याला पीने वाले,ये शंभू औघड़ दानी है।
भरते हैं भंडार सभी के,जो देते लोटा पानी है।
शिवगौरा का पूजन कर लो,ये पावस ऋतु मतवाली है।
रिमझिम बारिश की बूॅ॑दों से, वन छाई चहुॅ॑ हरियाली है।
भीगा- भीगा मौसम सारा,वो भक्त जन गढ़ पर जाते हैं।
शिव- शिव करते आगे बढ़ते,ये जय -जय कार लगाते हैं।

कवयित्री: दीपिका दीप रुखमांगद
जिला बैतूल
( मध्यप्रदेश )