
दया
( Daya )
रूप घनाक्षरी
जीवों पर दया करें, औरों पर उपकार।
साथ देता भगवन, दुनिया का करतार।
हर्ष खुशी प्रेम भरा, सुंदर सा ये संसार।
दया नहीं मन माहीं, समझो जीना बेकार।
श्रीराम है दयासिंधु, भक्तों के तारणहार।
दयानिधि दीनबंधु, कर देते बेड़ा पार।
दीनन पे दया करें, आदर और सत्कार।
सुख संपत्ति प्यार से, भरा रहता भंडार।
कवि : रमाकांत सोनी
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )
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