Urdu Poetry | Ghazal -ख्वाब टूटे कभी तो अरमान का पता चले
ख्वाब टूटे कभी तो अरमान का पता चले
( Khawab Tute Kabhi To Armaan Ka Pata Chale )
ख्वाब टूटे कभी तो अरमान का पता चले
मुझे आँख लगे जो तूफ़ान का पता चले
ए-शराब में तुझे कुछ इस तरह से पीता हूँ
मदहोश भी रहूँ तो मकान का पता चले
तुझमें मरके, में तुझमें जीता हूँ ऐसे की
तुझसे बाहिर आये तो वीरान का पता चले
तुम जो कह दो बस मेरी जान एक दफा
तो मुझे भी ज़रा अपनी जान का पता चले
आने वाले का इन्तिज़ार इतना कर लिया की
वह आने का सोचे तो आन का पता चले
किसी पर लुटाकर जान ‘अनंत’ देख लीजिये
आप को भी तब सदक़ा जान का पता चले
लेखक : स्वामी ध्यान अनंता
( चितवन, नेपाल )