Muhabbat Shayari || मुहब्बत हम्ज़ है हम से जारी रहेगी
मुहब्बत हम्ज़ है हम से जारी रहेगी
( Muhabbat Hamaz Hai Ham Se Jari Rahegi )
तेरी तरफ से भले ही इन्कारी रहेगी
मुहब्बत हम्ज़ है हम से जारी रहेगी
कितने भी दिल-ए-ज़ार क्यों ना हो
दिल ही है तो ज़रूर दिलदारी रहेगी
मैदान-ए-इश्क़ में हार ही तो है हक़
सो ज़िन्दगी नाम की जंग भारी रहेगी
जिस्म नए ताल्लुक़ में उलझा भी रहे
मगर हमेसा तेरे ही तरफदारी रहेगी
जब तलक़ सांस ‘अनंत’ जारी रहेगी
उसपे फ़िदा, उससे वफादारी रहेगी
लेखक : स्वामी ध्यान अनंता
( चितवन, नेपाल )
Hamz: essence of life,
Dil-e-zaar: stressed heart
Taa.lluq: relations and responsibilities