आईना | Aaina kavita
“आईना”
( Aaina : kavita )
–> सच्चाई का प्रतीक है “आईना” ||
1.सब कहते हैं सच्चा-झूँठा, किस पर यकीन करें |
देख कर चेहरा बातें करते, किस पर यकीन करें |
किसके दिल मे क्या रहता, कुछ पता नहीं चलता है |
एक आईना झूँठा न बोले, जो सच है सो कहता है |
–> सच्चाई का प्रतीक है”आईना” ||
2.अपने मन को साफ रखो, ये भी बहुत जरूरी है |
मन मानव का आईना होता, रखना साफ जरूरी है |
देखो मन की अंखियों से, खुद को मन के आईने में |
मानो न मानो सच होती, दिखती तस्वीर जो आईने में |
–> सच्चाई का प्रतीक है “आईना” ||
3.छोटे-बड़े रुप मे मिलते, बिकते हैं दुकानों में |
सुंदर रंग-बिरंगे शीशे, सजते महलों मकानों में |
कोई लगाता रुप देखने, घर की कुछ दिवारों पर |
एक आईना ग्यान का होता, लगता जो विचारों पर |
–> सच्चाई का प्रतीक है “आईना” ||
4.आईना कभी झूँठ न बोले, जो सच सो कहता है |
उसकी बात मान कर देखो, दर्पण मन रख कहता है |
आईने की राहें चलना, नामुमकिन नहीं कठिन होता |
चल कर देखो सच्ची राहें, खुद पर गर्व यकीन होता |
–> सच्चाई का प्रतीक है “आईना” ||
कवि : सुदीश भारतवासी