नारी : एक स्याह पक्ष
नारी : एक स्याह पक्ष

नारी : एक स्याह पक्ष !

( मंजूर के दोहे )

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१)

नारी नारी सब करें, किसी की यह न होय।
उद्देश्य पूर्ति ज्यों भयो, पहचाने ना कोय।।

२)

नारी सम ना दुष्ट कोई, होवे विष की खान।
दयी लयी कुछ निपट लो,संकट डाल न जान।।

३)

त्रिया चरित्र की ये धनी,करें न कभी विश्वास।
इनके सानिध्य जो रहे, झेले विश्वासघात।।

४)

नारी नाम मत लीजिए,ले लीजिए संन्यास।
प्रतिष्ठा बची रहेगी,इतना रखें विश्वास।।

५)

इनका मारा जग भरा,उठ खड़ा नहीं होय।
शर्मिंदा हो रहे पड़ा, कह पावे ना कोय।।

 

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नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

 

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