नादानी

नादानी | Hindi Story | Hindi Kahani

नादानी

( Nadani : New Hindi Kahani )

आज उसके एतबार को किसी ने ठोकर मार करें तोड़ दिया तो उसके दिल ने सोचा, क्या वाकई आज के दौर में भरोसा नाम की कोई चीज नहीं रही। क्या अपनापन, दोस्ती के जज्बे सब खत्म हो गए।

क्या आज का इंसान इतना मतलबी, इतना खुदगर्ज हो चुका है कि किसी की दोस्ती, किसी की वफा, किसी के जज्बात की उसके सामने कोई कीमत नहीं रही।

इन्हें बस से खिलौना समझा खेला और तोड़ दिया। यह भी नहीं देखा कि सामने वाले पर उसका क्या असर होगा। उसने किसी के लिए क्या सोचा, क्या कर गुजरने की ठानी। उसने तो अपने अंदर रूह आवाज भी नहीं सुनी।

बस दिल से एक ही आवाज निकलती थी कि अगर इस शख्स का हमारे जरिये भला हो जाए तो वह उसकी खुशनसीबी होगी।

इंसानियत के नाते भी उसने यह कदम उठाया था वैसे भी, जेनब एक नरम दिल, भावुक, हर दिल के दुःख सुख में काम आने वाली लड़की थी। भूले से भी किसी का दिल नहीं दुखाती थी। लेकिन किसी ने उसके भोलेपन का ऐसा फायदा उठाया कि जैनब़ के नजरिए को ही बदल दिया।

जेनब एक आला खानदान से ताल्लुक रखती थी। समाज में उनका एक अलग ही रुतबा था। ऊपर वाले ने उसी अच्छी सूरत के साथ-साथ अच्छी सीरत से भी नवाजा था।

अपनी तालीम मुकम्मल करने के बाद जेनब ने एक प्राइवेट स्कूल में जॉब कर ली। वहीं पर उसकी मुलाकात नमरीन से हुई।

नमरीन एक हंसमुख, शोख, चंचल लड़की थी। हर किसी से बेतकल्लुफ (बिना झिझक) बात करना उसकी आदत थी। किसी की पार्टी हो या शादी, जहां भी जाती अपना सिक्का जमा लेती।

जेनब की नरम दिली भावुकता और नमरीन की शौख चंचलता ने मिलकर उनके बीच दोस्ती का एक पुल बना दिया जिस पर से होकर दोनों एक दूसरे के पास आने जाने लगी।

धीरे-धीरे उनकी दोस्ती एक मिसाल बन गई। वह अपने हर सुख दुख की बात एक दूसरे को बताने लगी। नमरीन के परिवार वाले भी जेनब के साथ पुरखुलूस लहजे में पेश आते थे। उसे एक फैमिली मेंबर की तरह मानते थे।

इसी दौरान उनके स्कूल की छुट्टियां हुई। इन छुट्टियों में उन दोनों ने तय किया कि नमरीन के ननिहाल घुमा जाए। नमरीन के साथ जैनब़ की दोस्ती को देखकर जैनब़ के घरवालों ने भी उसे घूमने की इजाजत दे दी।

नमरीन के साथ जैनब़ उसकी ननिहाल कानपुर घूमने गई। वहां पर उसके नाना, नानी, मामू, मुमानी, बुआ वगैरह रहते थे।

जेनब ने नमरीन के साथ खूब इन्जौय किया। सबके यहाँ घूमने फिरने के बाद आखिर में वह नमरीन की मुमानी के यहाँ ठहरे। मुमानी के यहाँ कुल छः फैमिली मेंबर थे। उसके मामू, मुमानी उनके दो बेटे और दो बेटियां।

इन लोगों ने जेनब की खूब खातिरदारी की। एक बेटी की तरह प्यार दिया। उनके इन अपनेपन, प्यार से वह बेहद मुतास्सिर हुई। उसे नहीं मालूम था कि दुनिया में इतने अच्छे लोग भी बसते हैं।

जेनब ने उनके यहाँ रहते हुए एक बात नोट की कि उनका बड़ा बेटा नवेद कभी-कभी बेहद उदास व परेशान रहता है। लगता था जैसे उसे कोई गहरा सदमा हो।

पहले तो जेनब ने इस बात पर गौर नहीं किया था लेकिन एक दिन नमरीन ने नवेद के बारे में जेनब को बताया कि वह बचपन से ही एक लड़की को प्यार करता था लेकिन उस लड़की की शादी किसी और के साथ हो गई, तब से यह अपने आपसे अपने परिवार वालों से बेखबर हो गया।

दिन-रात उसी लड़की की याद में खोया रहता है। इसकी आदत से इसके घर वाले भी परेशान है। अब इसने शादी ना करने का फैसला भी कर लिया। यह सुनकर जेनब को बहुत दुख हुआ, सोचने लगी क्या कोई शख्स किसी के लिए अपने परिवार, अपनी जिम्मेदारियों से भी अहम हो जाता है।

नवेद जिस लड़की से प्यार करता था, उस लड़की कि कुछ आदतें, बातें, रसूख/व्यवहार जेनब से मिलते थे। यह बातें नमरीन के हवाले से मालूम हुई। नवेद भी शायद इसी वजह से जब से घुलमिल गया था। उसका एहतराम करता था।

नवेद की इस हालत को देखते हुए एक दिन जैनब़ ने दिल ही दिल में एक फैसला किया कि वह एक दोस्त बनकर उसके, और उसके घरवालों के दुख को दूर करेगी।

वैसे भी उसे उस परिवार से बहुत अपनापन और प्यार मिला था, जो उसके तबस्सूर से भी बहुत दूर था। लेकिन, अभी वह अपने इस फैसले को अंजाम भी नहीं दे पाई थी कि उनके वापस चलने का प्रोग्राम बन गया।

जाते वक्त नमरीन के मामू-मुमानी ने जेनब को कहा, ठीक है मामू मैं घर पहुंचकर खत लिखूंगी। जेनब ने कहा। चलते वक्त नवेद से भी मिली, नवेद ने भी उसे खत लिखने को कहा।

इंसानियत के नाते भी जैनब़ का फर्ज बनता था कि वह उन लोगों को शुक्रिया का खत लिखे वैसे भी उन लोगों ने उसे एक मेहमान की तरह नहीं बल्कि एक बेटी की तरह रखा था।

इसीलिए घर पहुंचने पर जेनब ने नमरीन के मामू-मुमानी वगैरहा को शुक्रिया का खत लिखा। उसने नवेद को समझाने, उसकी जिम्मेदारियों का एहसास दिलाने के लिए उसे भी एक खत लिखा।

उम्मीद के खिलाफ बहुत जल्द उसके पास नवेद का खत आया, जिसमें उसकी तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था। वैसे जेनब ने किसी लड़के से दोस्ती नहीं की थी लेकिन उसकी हालात को देखते हुए उसने दोस्ती को कबूल किया लेकिन उसने अपने आप से एक वादा क्या कि जैसे ही वे नवेद अपनी जिंदगी की तरफ लौटेगा, अपनी जिम्मेदारियों को समझेगा तो वह उस दोस्ती के रास्ते से पीछे हट जाएगी।

किसी भी लड़के के साथ दोस्ती करने को उसका दिल गवाही नहीं देता, लेकिन अपने नरम दिली और इंसानियत के आगे वह हार गई। सोचने लगी कि अगर वह अपनी जिंदगी के कुछ पल दूसरों की भलाई में लगा दे तो उसकी जिंदगी में कमी नहीं

होगी बल्कि उसे गर्व होगा कि उसकी जिंदगी किसी के काम आई, अगर मेरी वजह से इनका घर बिखरने से बच जाए तो कम से कम यह लोग उसे याद तो करेंगे। यह ख्याल आते उसने नवेद के खत का जवाब लिख दिया।

धीरे-धीरे वह उसे हर खत मैं एक दोस्त के हवाले से समझाने लगी। नवेद उसके ख्यालों, विचारों, भावनाओं से बेहद मुतासिर हुआ। उसके खत होते ही ऐसे थे। अपनापन और पाकीजगी लिए हुए जो एक बार पढ़े तो पढ़ता ही रह जाए।

 नवेद पर उसकी भावनाओं, ख्यालों का गहरा असर हुआ। ऐसा उसने अपने खतों के हवाले से लिखा था। इस बात से जेनब को बेहद खुशी हुई। सोचा चलो उसकी दोस्ती, अपनापन किसी के काम तो आया। उसे अपने आप पर फक्र महसूस हुआ।

वह उसके खतों का बेसब्री से इंतजार करने लगी कि कब वह उसे खुशखबरी सुनाएं जिसे सुनने के लिए उसके कान बेताब हैं। वह तो सिर्फ उसे एक कामयाब इंसान के रूप में देखना चाहती थी।

उसकी जिंदगी में खुशियों की झंकार सुनना चाहती थी। वह चाहती थी कि वह अपने परिवार की खुशी की खातिर अपना फैसला बदल ले। अपनी शादी करके, अपना घर बसा ले।

अगले खत मैं उसने जेनब को लिखा कि वह उससे मिलने नमरीन के घर आ रहा है जैनब़ भी उससे मिलना चाहती थी, देखना चाहती थी कि उसके अंदर अब कितनी तब्दीली आई है।

जेनब के स्कूल की छुट्टी थी, इसीलिए वह नमरीन से मिलने उसके घर गई तो अचानक वहां पर उसकी मुलाकात नवेद से हुई नवेद को वहां देखकर जेनब को हैरानी हुई। नवेद एक दिन पहले ही नमरीन के घर पहुंचा था। नमरीन उसे आज बताने वाली ही थी कि जैनब़ उसके घर पहुंच गई।

जैनब़ को नवेद के अंदर वैसा कोई खास बदलाव नजर नहीं आया जैसा कि उसने अपने खत के हवाले से लिखा। जैनब़ ने सोचा कोई बात नहीं, यहाँ पर वह उसे खुद समझायेगी।

जैनब़ को जब भी मौका मिलता, वह नमरीन के घर जाती। नमरीन के साथ-साथ वह नवेद से भी मिलती उसे समझाती जिंदगी के उतार चढ़ाव बताती।

एक रोज उसे बातों ही बातों मैं मालूम हुआ की नवेद उसके लिखे खत सबको पढ़वाता है। जेनब ने जब इस बारे में नवेद से बात की तो उसने कहा कि आपके खत मैं मेरी गैरमौजूदगी में आते थे। जिनको मेरे कजन वगैरह पढ़ लेते थे।

सबको आपके लिखने का अंदाज बेहद पसंद आया। अगर आपको इस बात से कोई एतराज है तो आइंदा कभी ऐसा नहीं होगा। जैनब़ कुछ नहीं बोली वैसे भी वह नवेद के साथ-साथ परिवार के सभी सदस्यों के बारे में लिखती रहती थी।

इसीलिए उसने इस बात पर कोई तबज्जोह नहीं दी। लेकिन एक दिन वह नमरीन के घर गई तो वहां पर उसे जो सुनने को मिला वह उसके लिए नाकाबिले बर्दाश्त था। नमरीन ने उसे बताया कि नवेद तुमसे शादी करना चाहता है।

वह सोचता है कि तुम भी उससे शादी करना चाहती हो, तभी तुम उससे शादी करने पर जोर दे रही हो, इसीलिए तुम यहाँ आती हो, वह कह रहा था कि जैनब़ सिर्फ मुझसे मिलने आती है तुमसे (नमरीन) नहीं। मुझे यह सुनकर बहुत दुख हुआ।

तुम तो हमारे यहाँ पहले से आती हो। जब हमारी फ्रेंडशिप है तो जाहिर है हम एक दूसरे के यहाँ आएंगे जाएंगे ही, लेकिन उसे गलतफहमी हो गई है कि तुम सिर्फ उससे ही मिलने यहाँ आती हो। लेकिन जेनब उसकी बातों पर तब तबज्जोह मत देना।

वह मेरा कजन जरूर है लेकिन मैं उसको समझ गई हूँ। हर लड़की को वह अपनी यह दुख भरी दास्तान सुनाता है। उसकी हमदर्दी हासिल करता है, उसको करीब लाने के लिए खतो किताबत व फोटो का सिलसिला शुरू कर देता है।

फिर सब लोगो को बताता है देखो मुझ पर कितनी लड़कियां मरती है। यह तरीका वह हर लड़की पर आजमाता है। इसकी इस आदत से मुतासिर होकर लड़कियां बहुत जल्द ही इसकी जिंदगी में शामिल हो जाती है।

हकीकत में यह किसी लड़की से प्यार नहीं करता। जिस लड़की से यह प्यार करता था, उसकी शादी और हो गई। तब से यह इस बात का बदला और लड़कियों से लेता है और अब शायद इससे यह जिंदगी रास भी आ रही है।

अपनी इस आदत से यह अपने इलाके में बदनाम हो गया है। कोई लड़की अब इसकी तरफ देखती भी नहीं। तुम दूर की थी इसीलिए तुम्हें इसकी आदत का पता नहीं चला। तुम भोली और नरम दिल भी थी, इसीलिए तुम इसकी इन बातों में आ गई, लेकिन इसके सामने किसी की भावना, अपनापन, दोस्ती कोई मायने नहीं रखती।

इसकी नजरों में इसकी कोई कीमत नहीं, कोई कद्र नहीं। लेकिन जेनब को तो अपना वजूद खोखला नजर आ रहा था। नमरीन क्या कह रही है उसे कुछ होश नहीं था। उसका दिमाग तो एक ही जगह सोच रहा था कि उसने उस शख्स के लिए क्या कर गुजरने की ठानी।

अपने आदर्श वसूलो की भी परवाह नहीं की, लेकिन उस शख्स ने उसे क्या दिया सिवाय बदनामी और रुसवाई के। उसने उसके भरोसे और एतबार को ऐसा तोड़ा कि उसके टुकड़े कहां तक गए उसे खुद नहीं मालूम।

वह तो उसकी जिंदगी में खुशियां भरना चाहती थी लेकिन उसने उसका दामन कांटो से भर दिया। वह तो चाहती थी कि वह अपनी जिंदगी की तरफ लौटे, अपनी जिम्मेदारी को समझें, अपनी शादी कर ले, अपने परिवार की खुशी के खातिर।

लेकिन उसने उस पर उल्टा इल्जाम लगा दिया कि उससे खुद शादी करना चाहती है। वह तो अपनी पाकीजा दोस्ती अपनाकर और इंसानियत के हवाले उसकी मदद करना चाहती थी।

लेकिन उसने अपनी चालबाजी, झूठ, फरेब और मक्कारी से उसके वजूद को ही छलनी कर डाला। उसके दिल से इंसानियत जज्बे को बिल्कुल खत्म कर डाला।

उसने उसकी सच्ची भावना, पाकीजा दोस्ती, नरम दिली की कोई कद्र नहीं की। कोई कीमत नहीं जानी उसे जोर अच्छा लगा पा लिया दूसरा क्या चाहता उसकी कोई परवाह नहीं की।

उसने उसके मासूम दिल पर ऐसी चोट की कि उसका दिल रेसा-रेसा हो गया। दोस्ती और वफा पर से उसका एतबार हमेशा हमेशा के लिए उठ गया। आज के दौर के लिए उसे शायद यही अच्छा लग रहा था। उसे अपनी इस नादानी की वजह से भारी कीमत चुकानी पड़ी।

‘‘धोखे की यह दुनिया यहाँ कौन किसी का होता है।

धोखा भी अक्सर वही देता है जिन पर भरोसा होता है।

 

✍️

रुबीना खान

विकास नगर, देहरादून ( उत्तराखंड )

 

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