
आहिस्ता आहिस्ता
( Aahista aahista )
आहिस्ता आहिस्ता बदली जीवन की तस्वीर।
छोड़ धरा को चले गए बलवीर और महावीर।
शनै शनै सब बदल रहे कुदरत के हर रंग।
मानव की फितरत बदली रहन सहन के ढंग।
धीरे-धीरे बदल गई हम सबकी जीवनधारा।
कहां कुटुंब परिवार रहा वो अपनापन प्यारा।
बदल दिए हालात ने जीवन के मधुर अंदाज।
राजहंस सब मौन हुए अब चतुर हुए सरताज।
मंद मंद मोहक हवा चली बहने लगी बयार।
प्रेम सलोना उमड़ रहा कविता की रसधार।
शब्द सुरीले गीत ढले बन गए मधुर तान।
साज सुशोभित हो रहे अधर धरे मुस्कान।
पूरब से पश्चिम को चले दिव्य देव दिवाकर।
दुनिया सारी रोशन हुई रवि आलोक पाकर।
कवि : रमाकांत सोनी सुदर्शन
नवलगढ़ जिला झुंझुनू
( राजस्थान )