आँचल | Aanchal
आँचल
( Aanchal )
माँ तेरा आँचल सदा, देता शिशु को छाँव।
मैल झाड़ती तू सदा, सर से लेकर पाँव।।
पाऊं मैं सुख स्वर्ग सा, सोऊं आँचल ओढ़।
ठुकराए जो मात को, खुशियां ले मुख मोड़।।
गृह लक्ष्मी मातु बिना, सूना घर परिवार।
आये विपदा लाल पर, देती सब कुछ वार।।
बीच सफ़र चलते हुये, थक जाते जब पाँव।
गोदी में ले प्यार से, दे आँचल की छाँव।।
अन्नपूर्णा माँ सदा, भर देती है थाल।
स्वादिष्ठ व्यंजन बना, चटकारा ले लाल।।
प्रतापगढ़, ( उत्तरप्रदेश )