हुस्न भरी वो गुल आंखें है | Aankhen Shayari
हुस्न भरी वो गुल आंखें है
( Husn bhari wo gul aankhen hai )
हुस्न भरी वो गुल आंखें है ?
उल्फ़त से महकी सांसें है
जो क़िस्मत में न लिखा मेरी
उसके ही आते सपनें है
रब देख मिला दे उससे अब
आती रोज़ बहुत यादें है
दीदार करुं तो चैन मिले
देखूँ मैं उसकी राहें है
दोस्त मिलेगा वो जब मुझसे
करनी उल्फ़त की बातें है
प्यार नजर आता है आज़म
कल देखी ऐसी आंखें है