आँखों का पैमाना | Ghazal
आँखों का पैमाना
( Aankhon ka paimana )
है उसकी नजर मीठा जहर तो है दवा मैखाना ।
नजर से होश खो जाये, तो वापिस जाम से आना ।।
हुआ बीमार जब मैकश,जुड़ गये झूमकर मैकश ।
हुआ बीमार जब बाइज, हुआ घर उससे बेगाना ।।
हमारे इश्क के सौदे में, तुम क्यों फूल ले आये ?
हुआ तो था कि तुम फूलो की जगह जाम ले आना ।।
नजर का नशा ढल जाता है उसकी उम्र ढ़लने पर ।
मजा लेना हो मै का उसको ढलती उम्र में लाना ।।
कर दिया बन्द मैं खाना गिराकर पलक झटके से ।
खड़े के खड़े रह गये हम लिये आखों का पैमाना ।।
लेखक : डॉ.कौशल किशोर श्रीवास्तव
171 नोनिया करबल, छिन्दवाड़ा (म.प्र.)