आप कहके मुकर जाइये। Poem on mukar jaiye
आप कहके मुकर जाइये
( Aap kahke mukar jaiye )
अब इधर न उधर जाइये।
आप दिल में उतर जाइये।।
आईना भी जले देखकर,
इस कदर न संवर जाइये।।
हमको अच्छा लगेगा बहुत,
आप कहके मुकर जाइये।।
आखिरी इल्तिजा आपसे,
मेरे घर से गुज़र जाइये।।
गांव है शेष भोले हैं लोग,
आप सीधे शहर जाइये।।
लेखक: शेषमणि शर्मा”इलाहाबादी”
जमुआ,मेजा , प्रयागराज
( उत्तरप्रदेश )