दिल में मेरे बसी आरजू बनके वो | Ghazal
दिल में मेरे बसी आरजू बनके वो
( Dil mein mere basi aarzoo banke wo )
दिल में मेरे बसी आरजू बनके वो
आती होठों पे ही गुफ़्तगू बनके वो
सांसें महकी मुहब्बत से उसकी मेरे
चाँद सी आये जब हू ब हू बनके वो
ढूँढ़ता हूँ उसे मैं गली हर गली
दिल में ही उतरा है जुस्तजू बनके वो
ज़ख्मों सें ही राहत कुछ मिले ग़म भरे
जो मेरे दिल पे उतरे रफू बनके वो
दोस्त बनकर रहे साथ वो उम्रभर
जिंदगी में न आये अदू बनके वो
बात उससे हुई प्यार की ख़ूब है
आकर मेरे बैठा रु ब रु बनके वो
की ख़ुदा से यही रोज़ “आज़म” हुआ
जिंदगी में आये माहरु बनके वो
शायर: आज़म नैय्यर
(सहारनपुर )
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