Ab Nidra se Uthana Chahiye
Ab Nidra se Uthana Chahiye

अब निद्रा से उठना चाहिए

( Ab nidra se uthana chahiye )

 

हमको अब गहरी निद्रा से उठ जाना ही चाहिए,
बहुत सो लिए साथियों ये देर करनी न चाहिए।
ख़ामोश रहकर मन ही मन में घुटना ना चाहिए,
शिकायत चाहें किसी से हो छुपानी न चाहिए।।

समय अनुसार साथियों सबको बदलना चाहिए,
ये झूठा-मुखौटा अब सबको हटा लेना चाहिए।
साथ देकर कमज़ोर का उनको उबारना चाहिए,
परिवर्तन समाज में अब सबको लाना चाहिए।।

मैं ही मैं हूं ऐसा अंहकार कभी करना न चाहिए,
अर्पण नही समर्पण सी भावना रखनी चाहिए।
नर चाहें नारी हो सब का सम्मान करना चाहिए,
इतिहास याद करता रहें छाप छोड़नी चाहिए।।

प्रातः वंदन-सुप्रभातम सभी को बोलना चाहिए,
अपनें हृदय को निर्मल-निष्पाप रखना चाहिए।
इंसान है हम इंसानों सा व्यवहार करना चाहिए,
जगत मे इंसानी-रिश्ते बनाकर रखना चाहिए।।

हिंदी है हम हिन्दुस्तान की हिंदी बोलना चाहिए,
अपने भारत देश का संविधान जानना चाहिए।
न शोषण करें-पोषण करें शिक्षा ये देनी चाहिए,
चौपाल लगाकर ज्ञानरुपी बातें करनी चाहिए।‌।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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