अच्छे शिक्षक | Acche Shikshak
अच्छे शिक्षक
( Acche Shikshak )
प्रथम गुरू है हम सबकी माता,
जिसने संसार में जन्म दिया है ।
दूसरे गुरू हैं हम सबके पिता ,
पाल पोष के बड़ा किया है ।
तीसरे गुरू हैं हम सबके शिक्षक,
जिसने संसार का ज्ञान दिया है ।
चौथे गुरू हैं हम सबके प्रकृति,
जिसने उदार का भाव दिया है ।
बच्चों का सर्वांगीण विकास करे जो
वे ही हो सकते हैं अच्छे शिक्षक ।
ईमानदारी से प्रशिक्षण दे जो
वे ही हो सकते हैं अच्छे प्रशिक्षक ।।
भौतिक और आध्यात्मिक ज्ञान ,
व्यक्तिगत और सामाजिक सम्मान ,
इन सबका बोध कराएं जो ,
वे ही हो सकते हैं समाज के रक्षक ।
बच्चों का सर्वांगीण विकास करे जो
वे ही हो सकते हैं अच्छे शिक्षक ।।
उपस्थिति बनाना , गृहकार्य देना ,
शिक्षक का है पूर्ण कर्म नहीं ,
प्रतिभाओं से वंचित रखना
अच्छे शिक्षक का है धर्म नहीं ,
बच्चों के साथ भेदभाव करे जो
वे ही इंसानियत का हो सकते भक्षक ।
बच्चों का सर्वांगीण विकास करे जो
वे ही हो सकते हैं अच्छे शिक्षक ।।
सिर्फ किताबी ज्ञान देने से
रूक जाता है हृदय का विकास ,
वह कुछ नया कर सकता है ,
ऐसा ना होता उनको एहसास,
निश्चित रूप से जुनून जगाएं जो
वे ही हो सकते हैं काबिल अधीक्षक ।
बच्चों का सर्वांगीण विकास करे जो
वे ही हो सकते हैं अच्छे शिक्षक ।।
अन्याय से वह लड़ना सीखे ,
सत्य से पीछे पैर ना खींचे,
जहां पर असहाय , बेबस देखे
मानवता का बीच वो सींचे,
इन सबको जीवन का लक्ष्य बनाएं जो
वे ही हो सकते हैं सच्चे समीक्षक ।
बच्चों का सर्वांगीण विकास करे जो
वे ही हो सकते हैं अच्छे शिक्षक ।।
रवीन्द्र कुमार रौशन “रवीन्द्रोम”
भवानीपुर, सिहेंश्वर, मधेपुरा , बिहार