अच्छा समाज कैसे हो संभव ?
जब तक हम नहीं सुधरेंगे तब तक एक अच्छे समाज का निर्माण संभव नहीं। जब आप गलत होते हुए भी अच्छा बनने का नाटक करते हैं, तो अगला सब कुछ जानते हुए भी खामोश है ।
तो इसका मतलब यह नहीं कि वह कुछ नहीं जानता बल्कि वो आपको दूसरों की नजरों में गिराना नहीं चाहता । क्योंकि वह खुद एक नेक इंसान है।
जब आप गलती करते है और यह जानते है कि मैं गलत हूं फिर भी आप स्वीकार करने के लिए राजी नहीं हैं ।
क्योंकि आप को अपने स्वाभिमान की चिंता होती है कि कहीं अगर मेरे बारे में लोग जान जाएंगे तो लोग क्या कहेंगे, मेरी आलोचना होगी, जब आप छोटी-छोटी गलतियों को स्वीकार करते हैं तभी आपके अंदर एक अध्यात्मिक शक्ति का जन्म होता है जो आपको लोकप्रियता की ओर प्रतिष्ठित व्यक्ति के रूप में समाज खींच कर आपको आगे लाती है।
कभी-कभी देखने को मिलता है कि व्यक्ति विशेष की आदत ही हो जाती है गलत करना और सभा में अपने को सर्वश्रेष्ठ घोषित करना इस मानसिकता के लोग समाज को अंदर से खोखला करते हैं।
एक अच्छे समाज का निर्माण वही कर सकता है जो अपनी गलती होने पर एहसास कर माफी मांगता है आप समाज सुधारक तभी बन सकते हैं जब आप खुद छोटी-छोटी गलतियों को एहसास कर उसको अपने अंतर्मन से त्याग करते हैं ।
जिस दिन आप अपने समाज से सिर्फ अपने व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए जुड़ते हैं इसी दिन से आपकी आलोचना तय हो जाती है। जब कोई व्यक्ति समाज में अच्छा कार्य कर रहा हो तो उसकी प्रशंसा करनी चाहिए और जब कोई गलत कर रहा हो तो उसकी आलोचना भी करना लाजमी है।
कभी-कभी हम अपनी नजर से किसी सही व्यक्ति को भी गलत समझ लेते हैं और यह तय नहीं कर पाते हैं कि वह सही है ।
मैं अपने 8 साल की सर्विस में कई बार देखा और एहसास किया कि व्यक्ति सही होते भी उसको गलत साबित करने का प्रयास करते हैं क्योंकि जो गलत साबित करते हैं वह कहीं ना कहीं सच्चाई पर न जाकर अपना खुद का स्वार्थ देखते हैं , अधिकारी सही तरीके से विवेचना न करके किसी व्यक्ति विशेष के कह देने से गलत मान कर उस व्यक्ति को गलत ठहरा देते हैं ।
जब आप समाज में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति की प्रशंसा करते हैं तो उस व्यक्ति का मनोबल और ऊंचा होता है और आपकी प्रशंसा उस व्यक्ति के जीवन में उत्साह प्रकाश देती है जिसके बलबूते वह और अच्छे कार्यों में भाग लेता है ।
हम सभी समाज के व्यक्तियों का यह कर्तव्य होना चाहिए कि अपने समाज में उम्दा कार्य करने वाले व्यक्तियों को खोज कर उनके साथ मिलकर समाज को प्रशस्त मजबूत बनाने का कर्तव्य निभाए।
जब हम प्राइमरी स्कूल, इंटरमीडिएट स्कूल, या महाविद्यालयों में पढ़ा करते थे तो उस समय जो भी विद्यार्थी किसी क्षेत्र में प्रतिष्ठित कार्य किया करता था ,
तो उसको विद्यालय में सम्मानित किया जाता था और जो गलत तरीके से पेश आते थे या गलत तरीके से कार्य करते थे तो उनको गुरुजी दंडित किया करते थे।
जब गलत व्यक्ति की प्रशंसा करके उसको सुधारने का प्रयास करेंगे तो वह व्यक्ति और गलत करने लगेगा इसीलिए दंड का प्रावधान है ।
अपराधियों का प्रशंसा कर नहीं सुधारा जा सकता था बल्कि कड़ी से कड़ी दंड देकर ही सुधारा जा सकता है , संविधान बने हैं जो गलत करता है उसके लिए सजा दी जाती है जो उत्कृष्ट कार्य करते हैं उन को पुरस्कृत किया जाता है।
इसलिए सदैव आप यह तय करें कि समाज में कौन सही कार्य कर रहा है, कौन गलत कर रहा है ?इसकी विवेचना करते हुए हम सभी को एक लिस्ट बनाना चाहिए और समय-समय पर मौका मिले तो अच्छे लोगों को प्रोत्साहित करें, हमारा आपका यही कर्म हीधर्म है।
स्वतंत्रता किसी के पैर में कांटा चुभाने में नहीं बल्कि किसी के पैरों से कांटा निकालने में जो दर्द हो वहां मिलती है ।
स्वतंत्रता किसी को चोट मारने में नहीं बल्कि औषधि लगाने में है। मैं देखता हूं अक्सर युवा कभी कभी अपने निजी स्वार्थ के लिए आक्रोश में आकर किसी सरकारी संस्था स्कूल हो, कॉलेज हो सरकारी बसों में तोड़फोड़ य आग लगाते है, और हम साथी ताली बजाकर सहयोग करते हैं।
जहां हमको सुरक्षा करनी चाहिए वहां सुरक्षा ना करके हम उन उद्दंड व्यक्तियों का सहयोग करते हैं अगर ऐसा चलता रहेगा तो एक दिन हमारा समाज बिल्कुल गर्त में चला जाएगा ।
हम समाज के सभी प्रभुत्व जन मिलकर एक अच्छे समाज का निर्माण करें जब आप अन्याय पर नहीं बोलेंगे तो हमारे समाज का पतन हो रहा होता है। आप सभी समाज के लोग अन्याय पर बोले।
जय हिंद जय भारत।
लेखक– धीरेंद्र सिंह नागा
(ग्राम -जवई, पोस्ट-तिल्हापुर, जिला- कौशांबी )
उत्तर प्रदेश : Pin-212218
जी बिल्कुल सही कहा आपने ने
हृदय तल स्वागत जी