अदब से वो यूं पेश आने लगे है
अदब से वो यूं पेश आने लगे है

अदब से वो यूं पेश आने लगे है

 

 

अदब से वो यूं पेश आने लगे है।

कपट में सभी कुछ छुपाने लगे है।।

 

गए थे समझ झूठ पलभर में उनका।

नहीं जान पाए जताने लगे है।।

 

बहुत बार झेला फ़रेबों को उनके।

मुसीबत में फिर आजमाने लगे है।।

 

छुपाने वो अपनी सभी खामियों को।

सफाई से बातें बनाने लगे है।।

 

बङा शौक उनको बनाने का बातें।

ख़िजाओं में भी गुल खिलाने लगे है।।

 

बयां राज़ सारे ही कर देती आंखें।

नज़र यूं हमी से चुराने लगे है।।

 

सदा दूर हमसे वो रहने की खातिर।

बहाने नए फिर बनाने लगे है।।

 

खुशी उनको मिलती बहुत ही यूं शायद।

सदा दिल वो मेरा दुखाने लगे है।।

 

“कुमार” जीत पाए  नहीं कायदे से।

कपट और छल  से हराने लगे है।।

 

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कवि व शायर: Ⓜ मुनीश कुमार “कुमार”
(हिंदी लैक्चरर )
GSS School ढाठरथ
जींद (हरियाणा)

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