
आओ पेड़ लगाएं हम
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आओ पेड़ लगाएं हम,
चहुंओर दिखे वन ही वन।
निखर जाए वातावरण,
स्वच्छ हो जाए पर्यावरण।
बहें नदियां निर्मल कल-कल,
बेहतर हो जाए वायुमंडल।
नाचे मयूर होकर मगन,
झूमे धरती और गगन।
मंद मंद बहे मदमस्त पवन,
शतायु हो जाए मानव जीवन।
बगिया महके बचपन चहके,
खिला खिला रूप यौवन झलके।
खुशियां खुद घर आएं चलके,
स्वागत को बिछीं हों पलकें।
कुछ ऐसा कर जाएं हम,
आओ पेड़ लगाएं हम।
मानवता का दिखाएं दम,
धरती हरा भरा बनाएं हम।
संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग करें,
सह अस्तित्व के लिए जीएं मरें।
जीवों के प्राकृतिक आवास न छेड़ें,
लुप्त जीव भी हो जाएं बहुतेरे।
कुछ ऐसा कर जाएं हम,
आओ पेड़ लगाएं हम;
चहुंओर दिखे वन ही वन।
लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर
सलेमपुर, छपरा, बिहार ।