अन्नदाता का धरा पर मान होना चाहिए

अन्नदाता का धरा पर मान होना चाहिए | Annadata par kavita

अन्नदाता का धरा पर मान होना चाहिए

( Annadata ka dhara par maan hona chahiye )

********

अन्नदाता का धरा पर मान होना चाहिए,
उनके हित में भी कभी कुछ काम होना चाहिए।
विषम परिस्थितियों में कठिन श्रम कर अन्न उगाते हैं,
स्वयं भूखे रहकर भी देश को खिलाते हैं।
खाद पानी बीज के लिए सरकार की ओर देखते हैं,
निर्लज्ज सरकारें इनकी दुर्दशा देख मुंह फेरते हैं;
ना इनके कल्याण हेतु ढंग की कोई योजना बनाते हैं।
आश्वासनों का घूंट पिलाकर नेता सभी चुनाव में इन्हें ठग जाते हैं,
फिर पांच साल इनके यहां दर्शन नहीं देने आते हैं।
ऋण जाल में फंसे अन्नदाता आत्महत्या को हैं मजबूर,
पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही यही दस्तूर।
जाने कब खत्म होगी इनकी दुश्वारियां?
कम पड़ जातीं इनकी सारी तैयारियां।
कभी मौसम दगा दे जाता-
तो कभी बाढ़ सुखाड़,
देते इनके खेतों को उजाड़।
और नहीं तो होता कभी टिड्डियों का हमला,
सुख के सपने देखने वालों का-
पल में भर देते दुखों कि गमला।
चढ़ मचान जिनके लिए दी थी जग कर पहरा,
एक झटके में दे गयीं इनको घाव गहरा।
फिर भी ये कभी हिम्मत नहीं हारते,
सदा सर्वदा जीवन से संघर्ष कर अपना जीवन हैं संवारते;
नित्य जीते मरते देश का ये पेट भरते।
सहकर चौतरफा मार करते सबका उद्धार,
खाली नहीं होने देते देश का अन्नागार।
ऐसे मेहनती महामानव का सदैव सम्मान होना चाहिए,
अन्नदाताओं का धरा पर मान होना चाहिए।

 

?

नवाब मंजूर

लेखक– मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

 

यह भी पढ़ें :

शाबाश अनन्या | Anannya par kavita

 

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *