आरज़ू | Arzoo
आरज़ू
( Arzoo )
नयी पहचान मिलेगी नया नाम मिलेगा।
यूं ही नहीं मंजिल -ए- शान मिलेगा।
कभी रुकना नहीं तुम कभी थकना नहीं,
फिर ज़मीन ही नहीं आसमान मिलेगा।
ख़ुद में झांक ले ताकत को भी आजमा ले,
ख़ुद को जीत कर ही तुझे तेरा नाम मिलेगा।
अपने एहसासों को काग़ज़ उकेरो तो कभी,
तेरे लफ़्ज़ों को तभी तीर और कमान मिलेगा।
नज़रें उठा कर तो देखो जहान और भी,
खुद को देख कर तो महज थकान मिलेगा।
पत्थर उछाल कर फूलों की उम्मीद न कर,
सम्मान देकर ही तुझको भी सम्मान मिलेगा।
हर गली कूचे में ढूंढा है तुझको मैंने ज़िन्दगी,
कभी तो बंजारा दिल को भी मकान मिलेगा।
एक बार फिर से मिले तो बहला लेंगे खुद को,
कहीं न कहीं तो खिलौनों का वो बाजार मिलेगा।।
आश हम्द
पटना ( बिहार )
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