Ayodhya par kavita

धन्य है वह अयोध्या नगरी | Ayodhya par kavita

धन्य है वह अयोध्या नगरी

( Dhanya hai wah ayodhya nagari )

 

धन्य है वह अयोध्या नगरी जहां जन्में थें श्रीराम,
भरत लक्ष्मण और शत्रुघ्न के बड़े भ्राता श्रीराम।
सबको गले लगाया अद्भुत अद्भुत किए थें काम,
मर्यादा पुरूषोत्तम कहलाएं वो भगवान श्रीराम।।

 

धर्म का पाठ पढ़ाकर आपने दिया सब को ज्ञान,
ज़रुरतमंद को किया सर्वदा अन्न धन वस्त्र दान।
बहुत बाधाएं पार किए लेकिन घबराएं नहीं राम,
जन जन के आप राजदुलारे अयोध्या की शान।।

 

ऋषि मुनि एवं देवगणों की दैत्यों से बचाई जान,
अपनें बल पराक्रम से बनाई आपने ये पहचान।
दशरथनंदन आपकों हमारा कोटि-कोटि प्रणाम,
कौशल्या की आंखों के तारें आप सबसे महान।।

 

सत्य का साथ व प्रजा का हाथ आपने ना छोड़ा,
चाहें दुख भोगना पड़ा या अपनों से नाता तोड़ा।
त्याग एवं परेशानियों से लड़ना सबको सिखाया,
सीख इंसान को देने के लिए ख़ुद ने रुख मोड़ा।।

 

जगमग करतें दीपक जलाते एवं मनातें त्योंहार,
सीताराम लक्ष्मण संग पधारें अयोध्या घर-द्वार।
गांव शहर गली-गली ढ़ाणी में रहता है उल्लास,
इस दिन बहती है सब जगह अमृतरस की धार।।

 

रचनाकार : गणपत लाल उदय
अजमेर ( राजस्थान )

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