265 वां भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस पर मेरे भाव
265 वां भिक्षु अभिनिष्क्रमण दिवस पर मेरे भाव
( 265 Bhikshu abhinishkraman divas )
भिक्षु स्वामी की शरण भारी
जगत में कुछ भी सार नहीं है ।
करे हम क्यो इतनी नादानी ।
शिरोधार्य करे समता धर्म को ।
आत्मा हो जाती भव पार ।।
भिक्षु स्वामी की शरण भारी ।
हम पढ़ते धर्म – ग्रंथ नित नियम से
लेकिन जीवन का घट रीत गया ।
अमृत तजकर विष को है पिये
तो जीवन का कैसे हो उद्धार ।।
भिक्षु स्वामी की शरण भारी ।
मंदिर में हम जाते भक्ति दिखाते
आदर्शों की बात बनाते लेकिन
जीवन व्यवहार में हम खोट चलाते
तो कैसे होगा आत्मा के भव का सुधार ।
भिक्षु स्वामी की शरण भारी ।
मैंत्री के जब फूल खिलेंगे ।
सभी परस्पर मिल रहेंगे ।
समता के उर दीप जलेंगे
तो बहेगी अमृत धार ।
भिक्षु स्वामी की शरण भारी ।
अप्रमत बन मन को समझा ले ।
अहंकार को दूर हटा ले ।
सोचा दृढ़संकल्प जगा ले
और क्रोध की दीवार तोड़ दे ।
भिक्षु स्वामी की शरण भारी ।
प्रदीप छाजेड़
( बोरावड़)