अयोध्या बासी श्री राम
अयोध्या बासी श्री राम
धन्य हुई धरा भारत की,धन्य अयोध्या नगरी है |
धन्य हुआ हर जीव यहां,ये इतनी पावन नगरी है |
अयोध्या की इन गलियों मे,बचपन बीता आपका |
कण-कण श्री राम बसे,सिया बल-रामचन्द्र की जै |
सिया बलरामचन्द्र की जै,पवनसुत हनुमान की जै |
कहने को चौदह बरस,सहत्र वर्षों दूर रहे घर से |
कल घर के लोगों के कारण,आज कलयुगी नर से |
दिव्य अलौकिक छवि लिये,आज बसे है धाम मे |
मर्यादा पुरुषोत्तम आये,सिया बल-रामचन्द्र की जै |
सिया बलरामचन्द्र की जै,पवनसुत हनुमान की जै |
नर योनी मे जन्म लिया,समझाया जीवन सार |
खुद ही नारायण है पर नर,बन लीला करीं अपार |
जन जीवन के दुख-सुख,मानव बन समझाया है |
समझ लो जीवन सार,सिया बल-रामचन्द्र की जै |
सिया बलरामचन्द्र की जै,पवनसुत हनुमान की जै |
रोम-रोम मे राम बसा लो,कर्म करो सब अच्छे |
प्रभु की इच्छा प्रभु ही जाने,हम तो है अभी बच्चे |
चलो अयोध्या-धाम चलें,श्री राम प्रभु के दर्शन को |
स्वयं बिराज-मान् प्रभु,सिया बल-रामचन्द्र की जै |
सिया बलरामचन्द्र की जै,पवनसुत हनुमान की जै |

लेखक: सुदीश भारतवासी
Email: sudeesh.soni@gmail.com