Judaai

जुदाई | Judaai

जुदाई

( Judaai ) 

 

धड़कने कभी ह्रदय से जुदा नहीं हो सकती है।
परदेसी पिया जुदाई सहन नहीं हो सकती है।
पलक बिछाए नयना बैठे नजरे राहें तकती है।
अधर गुलाबी प्रीत बरसे पांव पायल बजती है।
परदेसी पिया जुदाई

काले केश घटाएं घिरती बूंदे बरसात सताती है।
मन का मीत पिया परदेसी याद तुम्हारी आती है।
घुंघट में थोड़ा शर्माना गोरी ओट धर लजाती है।
मन ही मन तेरा मुस्काना आजा सनम बुलाती है।
परदेसी पिया जुदाई

 

कवि : रमाकांत सोनी

नवलगढ़ जिला झुंझुनू

( राजस्थान )

यह भी पढ़ें :-

 

प्राइवेट नौकरी | Private Naukari

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *