अय्याशी
अपने छोटे से कमरे के कोने में रखे लकड़ी के टेबल के ऊपर अभी हाल में मिले हुए द्वितीय विजेता सर्टिफिकेट और मोमेंटो देख कर राधिका देवी दीवान में लेटी लेटी मुस्कुराने लगी । आवाज कानों में गुंजने लगे जब माइक से मंच पर विजेता का नाम में राधिका देवी पुकारा गया था ।
फिर अचानक आंखों डबडबा आई पति सतीश जी ने ऐसा क्यों कहा क्या उनको ऐसा कहना चाहिए था किसी नारी को आगे नहीं बढ़ना चाहिए यदि आगे बढ़ाने में किसी पुरुष का मार्गदर्शन मिल जाए तो बहुत बड़ा गुनाह है।
राहुल जी अपनी सोसाइटी में रहने की वजह से जानते थे मैं सिलाई कढ़ाई करती हूं और पुराने कपड़ों से बहुत ही आकर्षक चीजें बनाती हूं और इसी के एक प्रदर्शनी सोसाइटी वालों ने लगाई थी।
जहां पुराने कपड़ों से बनाई गई मेरे हाथ की दरी उस पर बेलबूटा और चारों किनारे-किनारे गोटेदार वाले बॉर्डर सभी देखने वालों का आकर्षण रहा और मुझे द्वितीय पुरस्कार के लिए चुना गया लेकिन यदि राहुल जी नहीं बताते तो मैं जाती राहुल जी के घर में आकर बताना क्या गुनाह था।
विवाह के इतने वर्ष बाद भी क्या पति सतीश जी को मुझ पर भरोसा नहीं छुट्टते ही उन्होंने कैसे कह दिया कि गैर मर्द को घर पर बिठाकर अय्याशी करती हो क्या दरवाजे पर आए किसी मेहमान का एक गिलास पानी देना भी नारी जात के लिए पाप है।
आक्रोश में आकर राधिका जी दीवान से नीचे उतरी और बडबडाते हुए कि आज देश भारत हमारा हर दिशा में सफल है मगर क्या एक पुरुष का एक मर्यादित नारी के प्रति विश्वास जीतने में सफल हुआ प्रमाण पत्र और मोमेंटो को राधिका जी ने पलट कर रख दिया और तौलिया से ढक दिया ताकि यह हमें दोबारा याद ना दिला सके इस घटना को।

डॉ बीना सिंह “रागी”
( छत्तीसगढ़ )
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