आज़माया करो

आज़माया करो | Azmaya Karo

आज़माया करो

सब्र मेरा न यूँ आज़माया करो
रूबरू ऐसे सज कर न आया करो

इतनी बातें न हमसे बनाया करो
जामे – उल्फ़त ख़ुशी से पिलाया करो

साक़िया तुम को इस प्यासे दिल की क़सम
शाम ढलते ही महफ़िल सजाया करो

प्यार की मौजें दिल में पटकती हैं सर
इस समुंदर में आकर नहाया करो

कैसे जानें कि हमसे तुम्हें प्यार है
प्यार को बेझिझक तुम जताया करो

जिसके मिलने से होती है तुम को ख़ुशी
वो जो रूठे तो उसको मनाया करो

उसने साग़र बड़े नाज़ से कह दिया
देखते ही हमें मुस्कुराया करो

Vinay

कवि व शायर: विनय साग़र जायसवाल बरेली
846, शाहबाद, गोंदनी चौक
बरेली 243003

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