बात बन जाए | Baat ban Jaye
बात बन जाए
( Baat ban jaye )
किसान की खेती में
मिस्त्री की रोजी में
बच्चों की खेलने की
जवान की कमाने की
भूखे को रोटी की
प्यासे को पानी की
मजदूर को दिहाड़ी की
वैज्ञानिक को खोज की
पेड़ को आक्सीजन की
लड़की की सुरक्षा की
लड़कों को सुधारने की
भैंस से दूध की
बहन से राखी की
भाई से प्यार की
मां की ममता से
बाप की समता से
विद्यालय में पढ़ाई की
सैनिक की सुरक्षा की
भारत देश में एकता की
इंसान में इंसान की
भले बुरे की पहचान
खुद की पहचान की
दुश्मन को पहचान की
अपनों में अपनों की
दिन महीने साल की
रोज़गार की
फसल की
कुंभकार को कुंभ की
मनजीत सिंह
सहायक प्राध्यापक उर्दू
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ( कुरुक्षेत्र )
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