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गिर के उठनी | Bhojpuri Kavita Gir ke Uthani
” गिर के उठनी “ ( Gir ke uthani ) आज उठे के समय हमरा मिलल देख हमरा के कवनो जल उठल खिंच देलक गोंड हमर ऐ तरह से गिर गइनी देख दुनिया हंस पड़ल का करती हम अभीन उठल रहनी मंजिल रहे दूर मगर अब ना सुतल रहनी देख इ हंसी अब हम…
जरल | Jaral Bhojpuri kavita
” जरल “ ( Jaral ) पहिले अपना के झांक तब दुसरा के ताक काहे तु हसतारे कवन कमी तु ढकतारे घुट-घुट के मरतारे दुसरा से जरतारे तोहरों में बा कुछ अच्छा ज्ञान खोज निकाल अउर अपना के पहचान मेहनत के बल पे आगे बढ़ जवन कमी बा ओकरा पुरा कर ना कर सकेले…
रोपया | Poem on rupees in Bhojpuri
” रोपया “ ( Ropya ) रोपया के ना कवनो जात जे के ज्यादा उहे बाप उहे दादा उहे भाई चाहे हो कईसनो कमाई रोपया से समान मिलेला जित धरम अउर शान मिलेला रोपया से सब कुछ खरीदाला कोट कचहरी अउर न्याय बिकाला रोपया में बा अ्इसन बात रोपया के ना कवनो जात रोपया…
चेहरा | Chehra par Bhojpuri Kavita
चेहरा ( Chehra ) कहाँ गेईल ऊ माटी पे से चेहरा टाटी पे रचल बतावे कुछ गहरा गांव देहत में लऊके सुनहारा मिट गईल बा ओपे पहरा हर टाटी पे कुछ अलग गढ़ल रहे हिरण के पिछले बाघ दऊड़त रहे जिंदगी और मौऊत दूनो झलकत रहे अइशन रहस्य ओपे मढल रहत रहे …
बुढ़िया | Budhiya Bhojpuri Kavita
बुढ़िया ( Budhiya ) दूर झोपड़ी में रहे, बहुत अन्हार। ओमे से आवत रहे, मरत दिया के प्रकाश! चारों ओर सन्नाटा ,कईले रहे प्रहार। लागत रहे पेड़ पौधा अउर सब के लागल बा बुखार ना कवनो पत्ता हीलत रहे,जाने कौन रहे बात? हवा भी मोड़ लेले रहे मुंह, चलत रहे समय इतना ऐतना खराब।…
समय | Samay par Bhojpuri Kavita
” समय ” भोजपुरी कविता ( Samay par Bhojpuri Kavita ) झकझोर देलऽक दुनिया ओके झोर के लूट लेलऽक मिठ ओ से बोल के अउर तुडलक ओके मडोड के आज हसेला लोग देख के ओके जोर से झकझोर देलक दुनिया ओके झोर के सब केहू गइल ओके छोड़ के दरद ओके खायेला खोर-खोर के…