बात मानीं देवर जी!

Bhojpuri Kavita | Bhojpuri Poetry -बात मानीं देवर जी

बात मानीं देवर जी!

( Baat Mani Devar Jee Bhojpuri Kavita )

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(भोजपुरी भाषा में)
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चाल ऊहे बा
ढाल ऊहे बा
ऊहे बा अबहूं तेवर
बदल गइल बा अब त# सबकुछ
रउओ बदलीं देवर!
कर्ण नहीं शोभे कोई कुण्डल
ना चमके भाल पर बिंदिया
लालन पालन में लड़िकन के
उड़ गइल रातन के निंदिया।
छोड़ीं अब ऊ बात पुरानी
फिर से ना दुहराईं
अब भइनी रउरा वयस्क
करीं आपन नोकरी के बंदोबस्त?
ढ़ूढ़ ले आईं बहुरिया
घर अपनो लीं बसाई!
कब तक बैठल रहेम कुंआरे?
बूढ़ माई बाबूजी के सहारे।
रोजी रोजगार खोजीं चाहे
धंधा कवनो तलाशीं
ना#त# होखे लागी फाकाकशी?
गृहस्थी के बा कठिन डगरिया
मांग आपूर्ति के लंबी चदरिया
पूर्ति कइल कठिन बा?
सुबह शाम दुपहरिया।
बीत जाला एही में उमिरिया?
मानीं हमर ई नेक सलाह
समय रहते कर लीं ही बियाह
भविष्य के सपना सजाईं
बाबू माई से कहे में तनको ना लजाईं।
काम धंधा के चक्कर में
अबहीं से लाग जाईं,
आपन मेहनत से वधुपक्ष के लुभाईं।
शीघ्रातिशीघ्र घोड़ी चढ़ जाईं,
आ घर-आंगन आपन महकाईं।

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नवाब मंजूर

लेखक-मो.मंजूर आलम उर्फ नवाब मंजूर

सलेमपुर, छपरा, बिहार ।

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