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महल | Mahal Bhojpuri Kavita
महल ( Mahal ) धूल में मिल के सब धूल भईल का पताका , का सिंघासन कवन भुल भईल आज दुनिया देख रहल चुप चाप ओके छप पन्ना में पढ़ल इतिहास भईल शान, शौकत आऊर तमाशा सब खाक भईल का पता कवन आग में जल के राख भईल तोप दागत रहे कबो सलाम ओके…
मजबूर | Bhojpuri kavita majboor
मजबूर ( Majboor ) खुन के छिट्टा पडल, अउर पागल हो गइल ना कवनो जुर्म कइलक, कवन दुनिया में खो गइल जब तक उ रहे दिवाना, शान अउर पहचान के सब केहू घुमत रहे, लेके ओके हाथ पे आज समय अ्इसन आइल बा, लोग फेंके ढेला तान के कहां गइल मानवता, सभे हंसे जोर…
गिर के उठनी | Bhojpuri Kavita Gir ke Uthani
” गिर के उठनी “ ( Gir ke uthani ) आज उठे के समय हमरा मिलल देख हमरा के कवनो जल उठल खिंच देलक गोंड हमर ऐ तरह से गिर गइनी देख दुनिया हंस पड़ल का करती हम अभीन उठल रहनी मंजिल रहे दूर मगर अब ना सुतल रहनी देख इ हंसी अब हम…
बुढ़िया | Budhiya Bhojpuri Kavita
बुढ़िया ( Budhiya ) दूर झोपड़ी में रहे, बहुत अन्हार। ओमे से आवत रहे, मरत दिया के प्रकाश! चारों ओर सन्नाटा ,कईले रहे प्रहार। लागत रहे पेड़ पौधा अउर सब के लागल बा बुखार ना कवनो पत्ता हीलत रहे,जाने कौन रहे बात? हवा भी मोड़ लेले रहे मुंह, चलत रहे समय इतना ऐतना खराब।…
हे राजा हमके चौपाटी घुमाय द्या | Hey Raja
हे! राजा हमके चौपाटी घुमाय द्या माया नगरिया कै चेहरा दिखाए द्या, हे! राजा हमके चौपाटी घुमाय द्या। (2) सोना और चाँदी जैसी मुंबई नगरिया, गम-गम-गमकै-गमकै लै रानी ई डगरिया। जुहू बीच कै भुट्टा तू पहिले खियाय द्या, हे! राजा हमके चौपाटी घुमाय द्या। माया नगरिया कै चेहरा दिखाए द्या, हे! राजा हमके चौपाटी घुमाय…
रोटि | Roti par Bhojpuri Kavita
” रोटि “ ( Roti ) बड़ी अजीब दुनिया बा रोटी उजर तावा करिया बा केहु पकावे केहु खाये कुर्सी पे बइठ हाथ हिलाये जे पकाय जरल खाये सुन्दर रोटी कुर्सी के भाये खुन जरे पसिना आये तावा पे जाके सुन्दरता लाये जे खुन जराये पसिना लाये ओके खाली दुख भेटाये । कवि –…