Bachkar rahana

बचकर रहना

( Bachkar rahana )

 

फ़िज़ा की हवाओं में
जहर है घुला हुआ
सांस भी लेना तो संभलकर
फिसलन भरे हैं रास्ते
कदम भी रखना तो संभलकर

नीयत मे इंसानियत है मरी हुयी
जबान पर शराफत है मगर
मुश्किल है किसी पर यकीन करना
चाहते हो यदि बचकर रहना, तब
रिश्ते में बंधना तो संभलकर

बूंद भर भी नहीं भीतर
स्वाभिमान मगर हिमालय है
अपने अहम को रखना बचाकर
आवेश मे आना भी तो संभलकर

उन्हे फिक्र नहीं उनकी
उठाए जा चुके हैं महफ़िल से कई
तुम्हें तो पता है कीमत तुम्हारी
देना हि पड़े जवाब तो संभलकर

कीमत नहीं वक्त या जबान की उनके
पता है तुम्हे अहमियत तुम्हारी
लगानी होगी कीमत तुम्हे खुद ही अपनी
खड़े हो अगर बाजार मे तो संभलकर

मोहन तिवारी

( मुंबई )

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