बचपना | बालगीत
बचपना
( Bachpana )
पुआल पर दौड़कर
जीत जाते हैं,
बारिश में भीगकर
नाव चलाते हैं।
बर्तनों से खेलकर
खाना बनाते हैं-,
चुपके से चलके याद,
बचपन में चले जाते हैं ।
मुकुट मोर पंखों का लगाकर,
कृष्ण बन जाते हैं,
नीले आकाश को छूकर
धरती पर इतराते हैं।
कपड़ा ओढ़ मेढ़क बनकर,
बारिश करवाते हैं,
चुपके से चलकर यादें,
बचपन में चले जाते हैं।
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई
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