पेंशन की लड़ाई में मेरी कलम से एक आहुति | Pension par kavita
पेंशन की लड़ाई में मेरी कलम से एक आहुति
( Pension ki ladai mein meri kalam se ek aahuti )
आज समय का आवाहन है, समझो चलो हमारे साथ।
मिलकर अपनी बात रखेंगे, पूरी होगी अपनी बात।।
जिसने भी संघर्ष किया है, खोकर ही कुछ पाया है
तुम्ही बताओ किसके हिस्से, बैठे ही सब आया है
सुबह सुहानी पाने के हित, चलो गुजारो थोड़ी रात।
मिलकर अपनी बात रखेंगे, पूरी होगी अपनी बात।।
करत करत अभ्यास पढ़ा है, क्या तुम सारा भूल गए
बड़े बड़े भी शैल हवा से, देखो एक दिन धूल भए
नहीं असंभव काम कोई भी, जब जुड़ते हाथों से हाथ।
मिलकर अपनी बात रखेंगे, पूरी होगी अपनी बात।।
कवि : भोले प्रसाद नेमा “चंचल”
हर्रई, छिंदवाड़ा
( मध्य प्रदेश )
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