Bahut Dekha

बहुत देखा | Bahut Dekha

बहुत देखा

( Bahut Dekha )

भरी बज्म में उनको लाचार बहुत देखा
बुझी आँखो में तड़पता प्यार बहुत देखा

युँ तो हम भी हमेंशा रहे कायल उनके
बिना वजह के रहे शर्मसार बहुत देखा

हमने कभी न देखा वादा खिलाफ होते
सामने आने में इंतजार बहुत देखा

सामने सच ला न सकें झूठ बोला न गया
मुहब्बत की किताब में खुमार बहुत देखा

इश्क के सुरूर में डूबे रहे सुबह शाम
मुहब्बत की महक में इकरार बहुत देखा

यूँ तो रह न पाए एक दूसरे के बिन
मिलने पे उनसे पर तकरार बहुत देखा

यूँ तो रहते थे वो हर वक्त बेहद गुमसुम
पर महफ़िल में उन्हें मिलनसार बहुत

Sushila Joshi

सुशीला जोशी

विद्योत्तमा, मुजफ्फरनगर उप्र

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